श्री गणेशाय नमः
सरस्वत्यै नमः
सर्वाभ्यो देवीभ्यो नमः
सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः
सब्बं भवतु मंगलं
सब्बेषां भवतु मंगलं
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत् ।
सभी ऋिषियों, आचार्यों तथा देवताओं एवं मनुष्यों के साथ सुरासुर समस्त सृष्टि को प्रणम कर उनकी सहज सनातन कथा के बारे में मैं भी पुनः अपनी समझ से कथा का आरंभ करता हूं।
पुनः
भारत की समस्त कथा परंपरा एवं उसके प्रवर्तक तथा संचालक कथाकारों के समक्ष साष्टांग दंडवत करता हूं।
आप सभी तथा समस्त श्रोता-पाठक समुदाय का कृपाभिलाषी
रवीन्द्र कुमार पाठक
सरस्वत्यै नमः
सर्वाभ्यो देवीभ्यो नमः
सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः
सब्बं भवतु मंगलं
सब्बेषां भवतु मंगलं
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत् ।
सभी ऋिषियों, आचार्यों तथा देवताओं एवं मनुष्यों के साथ सुरासुर समस्त सृष्टि को प्रणम कर उनकी सहज सनातन कथा के बारे में मैं भी पुनः अपनी समझ से कथा का आरंभ करता हूं।
पुनः
भारत की समस्त कथा परंपरा एवं उसके प्रवर्तक तथा संचालक कथाकारों के समक्ष साष्टांग दंडवत करता हूं।
आप सभी तथा समस्त श्रोता-पाठक समुदाय का कृपाभिलाषी
रवीन्द्र कुमार पाठक
No comments:
Post a Comment